इस लेख में भारत के पूर्वी क्षेत्र में निवास करने वाली Naga Janjati (Naga Tribe in Hindi) के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई है। इस लेख में Naga Janjati के निवास, उनकी अर्थव्यवस्था, समाज और संस्कृति आदि पहलुओं के बारे में चर्चा की गई है।
Naga Janjati का निवास क्षेत्र और वहां की जलवायु
नागा जनजाति भारत देश के पूर्वी क्षेत्र में नागालैंड प्रांत में रहती है। यह मुख्यतः आखेटक और कृषक जनजाति है। नागालैंड प्रांत में ऊंची पहाड़ियों व पर्वतों पर इनका निवास है। इसके अतिरिक्त मणिपुर, चटगांव व पर्वतीय प्रदेशों से लेकर म्यांमार की अराकान पहाड़ियों तक विस्तृत नागा पहाड़ियों के दक्षिण में कुकी, लुशाई, लाखेर, चिन आदि जनजातीयाँ रहती है। पश्चिमी असम में रंगमा, सेमा और अंगार्म जातियाँ रहती है। दिहंग और लोहित नदियों के बीच ऊंची पहाड़ियों पर मिशनरी नागा रहते हैं।
नागालैंड एक पर्वतीय प्रदेश है। इसके उत्तर-पूर्व में परकोई तथा दक्षिण में मणिपुर और अराकान की पर्वत श्रेणियां है। समस्त भाग उबड़-खाबड़ है और यहाँ की नदियां तीव्रगामी, गहरी तथा संकरी घाटियों वाली है। समस्त प्रदेश जंगलों से आच्छादित हैं। इस प्रदेश की जलवायु गर्मतर (Tropical Humid) प्रकार की है। पहाड़ी के निचले ढालों पर वर्षा ऋतु के कारण मलेरिया का प्रकोप रहता है। नागा लोग अधिक ऊंचे और नीचे भागों को छोड़कर 1500 से 2500 मीटर की ऊंचाई पर रहते हैं। यहां की औसत वार्षिक वर्षा 250 सेंटीमीटर है तथा सामान्य तापमान 26℃ है।
नागा जनजाति की अर्थव्यवस्था - Naga Tribe Economy in Hindi
A. कृषि कार्य
मणिपुर और नागा पहाड़ियों में रहने वाली पूर्वी वर्ग की आदिम जातियों ने पहाड़ों की ऊंची-नीची सीढ़ीनुमा पट्टियों में खेती करने में काफी प्रगति कर ली है परंतु उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में अभी तक स्थान परिवर्तितकृषि/स्थानांतरित कृषि की ही प्रथा प्रचलित है। यह जाति अधिकतर झूमिंग कृषि करती है। झूमिंग कृषि में जंगलों को काटकर तथा जलाकर साफ की गई भूमि पर दो या तीन वर्षों तक कृषि की जाती है। सिंचाई के समय इन लोगों में बहुत झगड़े होते हैं। ये लोग बाग भी लगाते हैं। इस प्रदेश की मुख्य फसलें पहाड़ी धान, मंडवा कोटू तथा पहाड़ी मोटे अनाज है। चाय की झाड़ियां जंगली रूप में मिलती है। कुछ कपास भी उत्पन्न की जाती है।
B. कुटीर उद्योग
नागा जातियों में अनेक कुटीर उद्योग भी हैं। इनका मुख्य कुटीर उद्योग कपड़ा बनाना है। इस उद्योग में इन पर तिब्बती सभ्यता का प्रभाव पड़ा है। इस कारण ये बहुत ही आकर्षक कपड़े बनाते हैं। उद्योगों में श्रम विभाजन का विशेष महत्व है। कुछ लोग केवल कपास बोते हैं, तो अन्य केवल सूत काटते हैं। कुछ कपड़ा ही बनते हैं तो अन्य लोग मिट्टी के बर्तन बनाते हैं। इस प्रदेश में बांस के जंगल भी बहुतायत में मिलते हैं। कुटीर उद्योग में बांस की चटाई बुनना, टोकरियाँ बनाना आदि भी सम्मिलित हैं। प्रत्येक नागा गांव में लोहार भी होता है, वह औजार बनाता है। तीर -कमान, हल, हथकरघे आदि सामान लोहे के बनते हैं, जिन्हें लोहार बनता है।
नागाओं की आखेट (शिकार) पद्धतियां
पहाड़ी तथा मैदानी नागाओं की शिकार करने की विधियां भिन्न है। जंगली जानवरों को खदेड़ कर नदियों के खादर में लाना और भालों से मारना सभी नागाओं में प्रचलित है। इनका सर्वप्रिय हथियार दाओ है, जो अनेक कार्य में उपयोगी है। इनका दाओ फरसे के समान होता है। तीरों पर विष लगाने की प्रथा मणिपुर के मारन नागाओं में बहुत प्रचलित है। आखेट के नियम सभी नागाओं में कठोरता के साथ माने जाते हैं। जैसे कृषि के समय कोई भी नागा शिकार नहीं कर सकता है। यदि किसी अन्य गांव की सीमा के अंदर शिकार किया जाता है, तो उस गांव के लोग भी शिकार में हिस्सेदार होते हैं। मछलियां पकड़ने का काम पहाड़ के निचले भागों में नदियों व तालाबों के किनारे जालों और भालों की सहायता से होता है।
नागाओं के आवास
नागा लोगों के गांव ढालों पर नहीं बल्कि पहाड़ी कटकों पर बनते हैं। औसत गांव में 200 से 250 तक मकान पाए जाते हैं। उनके मकान बहुधा छप्परों के बने होते हैं, जो काफी ऊपर तक चले जाते हैं। ये छप्पर पाइन वृक्ष की शहतीरों पर टिके हुए होते हैं जो मजबूत होते हैं। मकान में दो त्रिभुजाकार दरवाजे होते हैं। सामने का दरवाजा बड़ा तथा पीछे का छोटा होता है। धनी नागा अपने घरों में सींग और तुरें लगाते हैं। दरवाजों पर बालों वाली खालों को लटकते हैं। जिस स्थान पर नागा लोग नृत्य करते हैं। वहां ईटों का एक वृताकार घेरा होता है। मारम लोग अपने घरों का द्वार पश्चिम में नहीं बनाते हैं क्योंकि पश्चिम से शीतल वायु आती है।
Naga Janjati का समाज और संस्कृति - Naga Tribe Society and Culture in Hindi
- अंगामी नागाओं के प्रत्येक गांव कई जातियों में बँटे होते हैं। इनके आपसी झगड़े को 'टेबो' सुलझाता है। वह गांव बसाने वाले का उत्तराधिकारी होता है।
- नागा समाज में संयुक्त परिवार प्रथा प्रचलित है।
- कृषि-कार्यों में स्त्रियां भी पुरुषों के साथ कार्य करती है। आखेट करना केवल पुरुषों का काम है।
- प्रत्येक नागा गांव में गांव का मुखिया होता है और यह एक महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है। पारिवारिक और सामाजिक झगड़ों का निवारण गांव का मुखिया ही करता है।
- विवाह के लिए स्त्री प्राप्त करने के लिए लड़की के संरक्षकों को कुछ धन दिया जाता है। विवाह के समय पशु बलि भी दी जाती है तथा दावतें और नृत्य होते हैं।
- इस जनजाति में बाल विवाह नहीं होते हैं।
- यह जनजाति आत्मा की शक्ति में विश्वास करती है, इनका मानना है कि संसार में पंचभूतों के अतिरिक्त एक सूक्ष्मतर शक्ति और है जो व्यक्ति को जीवन और बल प्रदान करती है।
- जब किसी परिवार पर बीमारी आदि की आपत्ति आ जाती है तो वह मनुष्य की आत्मा को पुनः प्राप्त करने के लिए मनुष्य का शिकार करने की खोज में चलता है। उसे मारकर नरमुंड को घर ले आते हैं। ऐसी खोपड़ियों को घर में रखकर यह विपत्तियों से मुक्त होते हैं, ऐसा उनका विश्वास है।
हालाँकि वर्तमान में सरकारी सहायता से इनके क्षेत्र में परिवहन मार्ग और उद्योग स्थापित किया जा रहे हैं तथा नरबलि की कुप्रथा से भी मुक्त करने का प्रयास किया जा रहा है। उधोगों के द्वारा इनके जीवन को एक साधारण मानव की भांति बनाया जा रहा है।